हर साल 1
अप्रैल को बच्चों से लेकर बुजर्गों तक सभी एक दूसरे को बेवकूफ बनाने में जुट जाते
हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम 1
अप्रैल को ही क्यों अप्रैल फूल डे यानि “मूर्ख दिवस” मनाते हैं?
1. माना जाता है
कि अप्रैल फूल डे की शुरुआत फ्रांस से हुई थी. पॉप ग्रेगरी 13 ने वर्ष 1582 में हर
यूरोपियन देश को जूलियन कैलेंडर छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार चलने को कहा
था. ग्रेगोरियन कैलेंडर में नया साल 1 अप्रैल से नहीं बल्कि 1 जनवरी से शुरू होता
है. उस समय कई लोगों ने इसे मानने से इनकार कर दिया था. और दूसरे कई लोगों को इस
बात की जानकारी तक नहीं हो सकी थी. इस कारण वो लोग नया साल 1 अप्रैल को ही मनाते
थे. ऐसे लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर अपनाने वालों ने पहली अप्रैल के दिन
विचित्र प्रकार के मजाक करने और झूठे उपहार देने शुरू कर दिए और तभी से आज तक पहली
अप्रैल को लोग फूल डे के रूप में मनाते हैं.
2. अप्रैल फूल डे
से जुड़ा एक किस्सा और भी है. 1392 में चॉसर के कैंटबरी टेल्स में इसका इतिहास पाया
जाता है. ब्रिटिश लेखक चॉसर की किताब "द कैंटरबरी टेल्स" में कैंटरबरी नाम के एक
कस्बे का जिक्र किया गया है. इसमें इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया
की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च, 1381 को होने की घोषणा की गई थी. जिसे वहां के लोग सही मान बैठे और
मूर्ख बन गए. तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाता है.
3. एक अन्य लोक
कथा के अनुसार एक अप्सरा ने किसान से दोस्ती की और कहा- यदि तुम एक मटकी भर पानी
एक ही सांस में पी जाओगे तो मैं तुम्हें वरदान दूंगी. मेहनती किसान ने तुरंत पानी
से भरा मटका उठाया और पी गया. जब उसने वरदान वाली बात दोहराई तो अप्सरा बोली- तुम
बहुत भोले-भाले हो, आज से तुम्हें
मैं यह वरदान देती हूं कि तुम अपनी चुटीली बातों द्वारा लोगों के बीच खूब
हंसी-मजाक करोगे. अप्सरा का वरदान पाकर किसान ने लोगों को बहुत हंसाया. इसी कारण
ही एक हंसी का पर्व जन्मा, जिसे हम अप्रैल
फूल यानि के “मूर्ख दिवस” के नाम से पुकारते हैं.
4. एक अन्य मान्यता
के अनुसार बहुत पहले चीन में सनन्ती नामक एक संत थे, जिनकी दाढ़ी
जमीन तक लम्बी थी. एक दिन उनकी दाढ़ी में अचानक आग लग गई तो वे बचाओ-बचाओ कह कर
उछलने लगे. उन्हें इस तरह उछलते देख कर बच्चे जोर-जोर से हंसने लगे. तभी संत ने
कहा, मैं तो मर रहा
हूं, लेकिन तुम आज
के ही दिन खूब हंसोगे, इतना कह कर
उन्होंने प्राण त्याग दिए. उस दिन 1 अप्रैल था. सब हसतें रहें, इसलिए इस दिन को
मनाने की प्रथा शुरू हुई.
5. एक कहानी ये
भी. बहुत पहले यूनान में मोक्सर नामक एक मजाकिया राजा था. एक दिन उसने सपने में
देखा कि किसी चींटी ने उसे जिंदा निगल लिया है. सुबह उसकी नींद टूटी तो सपना याद
आने पर पर वह जोर-जोर से हंसने लगा. रानी ने हंसने का कारण पूछा तो उसने बताया कि
रात मैंने सपने में देखा कि एक चींटी ने मुझे जिंदा निगल लिया है. सुन कर रानी भी
हंसने लगी. तभी एक ज्योतिष ने आकर कहा, महाराज इस सपने का अर्थ है कि आज का दिन आप
हंसी-मजाक के साथ बिताएं. उस दिन अप्रैल महीने की पहली तारीख थी. बस तब से लगातार
एक हंसी-मजाक भरा ये दिन हर साल मनाया जाने लगा.
6. पूरी दुनिया में
इस दिन को को बड़े जोश के साथ मनाया जाता है. जापान और जर्मनी में पूरे दिन लोग
प्रैंक करते है तो वहीं स्कॉटलैंड में इसे लगातार दो दिनों तक मनाया जाता है.
फ्रांस में इसे फिश डे कहा जाता है. इस दिन बच्चे कागज की बनी मछली एक दूसरे के पीठ पर चिपका कर अप्रैल के
इस दिन को मनाते हैं.
पूरे दिन को मनोरंजन के साथ बिताना ही अप्रैल
फूल या मूर्ख दिवस मनाने का मूल उद्देश्य है.
हैप्पी फूल डे.