छोटी-छोटी कहानियां किसी ना किसी बड़ी
समस्या और उससे जुड़े समाधान की तरफ़ जरुर इशारा कर जाती हैं.
ये अलग बात है कि हम जाने-अनजाने
इससे कन्नी काट जाते हैं क्योंकि बंदर के गले में घंटी बांधे कौन?
एक दूसरे पर बंदूक रख कर सही निशाने पर
तीर तो सभी मार लेना चाहते हैं लेकिन पता किसी को नहीं होता कि सही में क्या करें
या कैसे करें? सामने वाला बस हमारे अनुसार चले तो ठीक वरना उसे ग़लत साबित करने में
ही हमारे जीवन का उद्देश्य मानो पूरा होगा. और भीड़ या भेड़चाल की शुरुआत यहीं से हो
जाती है. असली समस्या पर दिमाग लगाना बचकाना मान लिया जाता है. और भटकाव के समंदर
में समाधान डूब जाता है.
ये ही भेड़चाल फ़िर नया शिकार तलाशने लगती है. और सबसे बड़ी
हास्यास्पद बात ये होती है कि जो सच है, वो झूठ हो जाता है और झूठ अचानक सच में
बदल जाता है. अब समस्या और बड़ी हो जाती है.
इसी बातचीत से जुड़ीं ये कहानी दिखाई दी तो
सोचा आप के सामने लायी जाये.
क्या पता? भेड़चाल से अलग
सोच रखने वाला कोई मुसाफ़िर कहीं किसी समस्या का समाधान कर ही दें? कहानी का मकसद शायद
वहीं पूरा हो जाएगा. आइये, आप भी आनंद उठाइए.
एक बार कुछ बंदरों को एक बड़े से पिंजरे
में डाला गया और वहां पर एक सीढी लगा दी गयी. सीढी के ऊपर के किनारे पर कुछ केले
लटका दिए गए.
(वैसे प्यार से हम सब इनको बंदर मामा कह कर
पुकारते हैं)
फ़िर आगे क्या हुआ?
उन केलों को खाने के लिए एक बंदर सीढी के
पास पहुंचा. जैसे ही वह बंदर सीढी पर चढ़ने लगा, उस पर बहुत सारा ठंडा
पानी गिरा दिया गया और उसके साथ-साथ बाकी बंदरों पर भी पानी गिरा दिया गया. अपने ऊपर पानी डलने पर वह बंदर भाग कर एक कोने में
चला गया.
थोड़ी देर बाद एक दूसरा बंदर सीढी के पास
पहुंचा. वह जैसे ही सीढी के ऊपर चढ़ने लगा, फिर से बंदर पर ठंडा पानी गिरा दिया गया और इसकी सजा बाकी
बंदरों को भी मिली और दूसरे बंदरो पर भी ठंडा पानी गिरा दिया गया. ठंडे पानी के
कारण सारे बंदर भाग कर एक कोने में चले गए.
यह कार्यवाही चलती रही. जैसे ही कोई बंदर सीढी पर केले खाने के लिए चढ़ता, उस पर और साथ-साथ बाकी बंदरों
को भी इसकी सजा मिलती और उन पर ठंडा पानी डाल दिया जाता.
बहुत बार ठंडे पानी की सजा मिलने पर बंदर समझ
गए कि अगर कोई भी उस सीढी पर चढ़ने की कोशिश करेगा तो इसकी सजा सभी को मिलेगी और उन
सभी पर ठंडा पानी डाल दिया जाएगा.
अब जैसे ही कोई बंदर सीढी के पास जाने की कोशिश करता तो बाकी
सारे बंदर उसकी पिटाई कर देते और उसे सीढी के पास जाने से रोक देते.
थोड़ी देर बाद उस बड़े से पिंजरे में से एक बंदर को निकाल दिया गया और उसकी जगह एक नए बंदर को डाला गया.
नए बंदर की नजर केलों पर पड़ी. परन्तु, नया बंदर वहां की परिस्थिति के बारे में कुछ नहीं
जानता था इसलिए वह केले खाने के लिए सीढी की तरफ भागा. जैसे ही वह बंदर उस सीढी की तरफ भागा, बाकि सारे बंदरों ने उसकी
पिटाई कर दी.
नया बंदर यह समझ नहीं पा रहा था कि उसकी पिटाई
क्यों हुई? लेकिन जोरदार पिटाई से डरकर उसने केले खाने का विचार छोड़ दिया.
अब फिर एक पुराने बंदर को उस पिंजरे से निकाला गया और उसकी जगह
एक नए बंदर को
पिंजरे में डाला गया. नया बन्दर बेचारा वहां की परिस्थिति को नहीं जानता था. इसलिए
वह भी केले खाने के लिए सीढी की तरफ जाने लगा और यह देखकर बाकी सारे बंदरों ने
उसकी पिटाई कर दी. पिटाई करने वालों में पिछली बार आया नया बंदर भी शामिल था जबकि उसे यह भी नहीं पता था
कि यह पिटाई क्यों हो रही है?
एक-एक करके पुराने बंदरों की जगह नए
बंदरों को पिंजरे में डाला जाने लगा. जैसे ही कोई नया बंदर पिंजरे में आता और केले खाने के लिए सीढी
के पास जाने लगता तो बाकी सारे बंदर मिलकर उसकी पिटाई कर देते.
अब पिंजरे में सारे नए बंदर थे जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं
डाला गया था.
उनमें से किसी को यह नहीं पता था कि केले
खाने के लिए सीढी के पास जाने वाले की पिटाई क्यों होती है? लेकिन उन सबकी एक-एक
बार पिटाई हो चुकी थी.
अब एक और बंदर को पिंजरे में डाला गया और आश्चर्य कि
फिर से वही हुआ. सारे बंदरों ने उस नए बंदर को सीढी के पास जाने से रोक दिया और उसकी
पिटाई कर दी. जबकि पिटाई करने वालों में से किसी को भी यह नहीं पता था कि वह पिटाई
क्यों कर रहे हैं?
और जब तक वहां बंदर रहे, वो सीढी रही और
केले लटकते रहे.
ना कोई सीढी के
ऊपर गया.
ना किसी ने
किसी को ऊपर जाने दिया.
ना ही उनमें से
किसी को पता चला कि वो ऐसा किसलिए कर रहें हैं?
वो सब एक दूसरे
के दुश्मन भी नहीं थे.
लेकिन समस्या
जस की तस बनी रही. दुविधा दूर नहीं हो सकी. समाधान नहीं निकला.
जीवन में भी शायद ऐसा ही कुछ होता हो. इधर-उधर
देखिए. ख़ुद से पूछिए. कहीं हम भी तो जाने-अनजाने कुछ ऐसा तो नहीं कर रहे?
शायद फ़िर अगली सुबह कुछ ख़ास लेकर आये.
सबका दिन, सबका जीवन मंगलमय हो.