आज
जैसा दिखता है,
कल
वैसा बिलकुल भी नहीं था.
जीवन
में एक कठिन शुरुआत.
स्कूल
में अपने शुरुआती वर्षों में
बेहद शांत
और कोई भी दोस्त नहीं.
फ़िर पता
चलता है कि
वो लोगों
को हँसा कर दोस्त बना सकता है.
ये
टर्निंग पॉइंट.
लेकिन पढ़ाई
के रिजल्ट हैरान-परेशान करने वाले.
टीचर के
रिपोर्ट-कार्ड में पूरी क्लास को डिस्टर्ब करने वाला एक बच्चा भर.
घर पर
शीशा देखकर फेस एक्सप्रेशन और नक़ल का अभ्यास जारी.
पिता बच्चे के टैलेंट से प्रभावित
लेकिन माँ चिंतित.
पैसा भी एक समस्या.
खर्च निकलना बड़ा मुश्किल.
ग़रीबी टैलेंट पर भारी.
किराये का मकान.
स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ
फैक्ट्री में 8 घंटे की शिफ्ट में काम
करना.
16 की उम्र में स्कूल छोड़ने की नौबत.
फ़िर कनाडा जाना
और
8 महीने परिवार के साथ किसी पार्किंग में रहना.
क्या आप उसके इमोशनल थॉट प्रोसेस को समझ सकेंगे?
बचपन अधूरा, पिछड़ा होने की फील, ग़रीबी की
दुत्कार और रहने में किल्लत.
ये जान लेना कि दूसरों की तुलना में उसे
बहुत ज्यादा मेहनत करनी ही होगी.
सबसे बड़ी बात ये कि
जीवन के जादू पर पूरा भरोसा.
ये हैं
एक्टर और कॉमेडियन
जिम कैरी.
17 जनवरी, 1962 को जन्म.
1979 तक चौकीदार की नौकरी.
1983 में हॉलीवुड की एंट्री.
1993 तक लगातार
अपने फेलियर से लड़ना.
उसके बाद हर फ़िल्म सफ़लता की गारंटी.
और
अब जिम कैरी
एक लीजेंड है.
ये एक दिन का खेल नहीं था,
पल-पल की कहानी थी.
जिम को आने
वाली पीढ़ियों को याद रखना ही चाहिए
ताकि वो भी जान
सकें
कि चांदी के
चम्मच लिए बिना भी लोगों ने ख़ुद को सोना कैसे बनाया?
चलते-चलते:
जब 1994 में कैरी के पिता की मृत्यु हुई, तो उन्होंने अपने पिता के ताबूत में 10 मिलियन डॉलर
का चेक उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि के रूप में रखा, जिसने
स्टार बनने के उनके सपनों को शुरू किया था और मरते दम तक उनका साथ निभाया.
चेक पर जिस तारीख़ और साल का जिक्र था,
उससे कहीं पहले ही जिम ने ये कारनामा कर दिखाया. ये उसकी फीलिंग्स की जीत थी. असली
जीत. ख़ुद से कमाई हुई.
इंफो एंड इमेज सोर्स: गूगल