आज नेशनल स्पोर्ट्स डे है.
क्यों?
क्योंकि आज का दिन मेजर ध्यानचंद जी
को समर्पित
है.
हाँ, हॉकी के महान जादूगर ध्यानचंद.
और हम उनसे जुड़कर खेल को और
खेल भावना को रिस्पेक्ट
देना सीखें,
इसलिए स्पोर्ट्स डे मनाने की परंपरा का
आग़ाज हुआ.
स्पोर्ट्स वो ही तरीके से खेल सकता है जो फ़िट हो.
फ़िट बोले तो मेंटली, फिजिकली और स्पिरिचुअल फ़िट.
कोई एक चीज़ भी कम पड़ी तो आप गए काम से.
जलन और नफ़रत के बिना खेलना ही स्पोर्ट्स है,
आप चाहे किसी भी मैदान में हो या
फ़िर जिंदगी के
ट्रैक पर.
जेन्युइन स्पोर्ट्समैन बनने के लिए आपको
एक शानदार इंसान बनने की हमेशा ज़रूरत रहेगी.
जिसने कभी स्पोर्ट्स नहीं खेला और
जिसने कभी दर्द
नहीं झेला,
उसका यहाँ आना नदी में बह रहे
उस पत्ते की तरह है
जो
हमेशा ये सोचता है कि नदी को
मैं ही कहीं लेकर जा
रहा हूँ.
अन्यथा कोई भी खिलाड़ी ये आसानी से
जान सकता है कि
हर बार वो ही चैंपियन बना नहीं रह सकता और
हर बार उसे हार ही नसीब हो, ये भी ज़रूरी नहीं.
तो
इस नेशनल स्पोर्ट्स डे पर अगर आप
ख़ुद को ये याद दिला सकें कि
सिर्फ़ खेलना ही आपके हाथ में है, रिजल्ट नहीं
तो यकीन मानिए कि आप शानदार खेलेंगे.
फ़िर जीत या हार का असर आप पर होना
बंद हो जायेगा क्योंकि आप जान सकेंगे
खेलने का प्रोसेस अहम है, बाकी सब टेम्पररी.
अब आप देख सकेंगे
कि मेजर ध्यानचंद को हॉकी का
जादूगर क्यों कहा
गया?
उन्हें भुलाया भी जा सकता था.
इतिहास हमेशा सिखाना चाहता है कि
भविष्य का आधार कैसे बनता है?
स्पोर्ट्स की ये ही महानता है.
वो आदमी के लिए कम,
उसके समर्पण के लिए तालियाँ
बजवाता रहा है.
और दुनिया वेट कर रही है कि
आपके लिए भी तालियाँ बजाएं.
आप का फेवरेट गेम कौन सा है?
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